देखा जो झांकती हुई किरणों को
कालिमा लदे बादलों के पीछे से ,
भेदती हुई निकलती आती रौशनी
तरलता भरती जा रही थी मुझमें ,
अँधेरा तो तभी तक है
जब तक रौशनी नहीं -
कोई पुरानी-सी , सीखी हुई बात तैर गई ज़हन में
और दिन हो गया उस पल !!!