देखो , आया है चाँद
भरपूर चमकता , मुस्कराहट लिए चेहरे पे
प्यार से लबरेज़ !
रात जितनी हो काली
उतना ही चमचमाता , सबकी नज़रों के सामने
प्यार है ही ऐसा -
बेहद खूबसूरत और निडर !!
ढकने दबाने की कोशिश है फिजूल
और उसकी चमक को मैला करने की कोशिश है पागलपन !
ऊबड़-खाबड़ ये रास्ता -
मेरे दिल और दिमाग के बीच
गाड़ी चलते-चलते जवाब दे जाती है कभी-कभार !
चरमराने लगता है ढांचा
और झटके भरे हिचकोलों से दिमाग होने लगता है सुन्न !
मरम्मत के लिए अर्जी लगाती हूँ
इस गाड़ी के बनाने वाले को हर बार ,
पर ये समझ में आया है
कि सिर्फ़ गाड़ी की मरम्मत नहीं है काफ़ी ,
इस रास्ते को समतल करना है असली हल !!
बालकनी से दिखता
वो सामने वाला पेड़
हर पल है उस पर आवा-जाही !
सूरज की पहली किरण के साथ ही
अलग-अलग सुरों की सरगम -
कभी कूके कोयल
तो कभी कौवे की कांव-कांव
गिलहरियाँ धमा-चौकड़ी मचाती हैं
एक डाल से दूसरी पर !!
मुसाफिर पंछी
करते हैं कुछ पल विश्राम
और जिनका है बसेरा यहाँ
वो देखा करते हैं ये तमाशा बेपरवाह -
रोज़ की ही तो बात है !!!!
भोर का ठंडा शांत प्रहर -
समय का स्पंदन रुक गया हो जैसे
पर आकाश देता है पल-पल रंग बदल कर गवाही
कि समय है गतिमान हमेशा !
जाती हुई रात और आता हुआ सवेरा -
है कुदरत का सबसे सुंदर कैनवास !
कुहासे की उस हलकी सी पर्त को
अपने में समा लेता है प्रभात
और ओस जड़े फूलों को जगाता है
अपने गर्माहट भरे स्पर्श से सूरज
यह अनूठा बदलाव चित्त को कर देता है शांत
और मन को भर देता है एक सुखद अनुभूति से !!!