Friday, January 29, 2010

सुबह-सुबह

सूरज की रौशनी से

कमरे के मटमैले पर्दे भी हो उठे जीवंत !!

चमकने लगे धूल के कण

कमरे में तैरते हुए -

गति में स्थिरता का एहसास दिलाते हुए !!!

मैंने बढ़ाये अपने हाथ

ओर सुनहरी ज़िन्दगी ने मुझे ले लिया

अपने आगोश में !!!!

Tuesday, January 12, 2010

मन है ज्यों

लबालब नदी ,

जीवन की ऊष्मा से तरल ,

झिलमिल करती आशा से !!

मन है ज्यों

मेघ आच्छादित आकाश,

उमड़- घुमड़ कर बरसाने को आतुर ,

नेह भरी बूँदें !!

मन है ज्यों

रंग-बिरंगी तितलियाँ ,

सुन्दर हैं क्षणिक ,

पर शाश्वत हैं उल्लासित !!

मन है ज्यों

अनछुए श्वेत बादल ,

अंतहीन व्योम में तैरते,

सब बेड़ियों से पार !!

मन है ज्यों

तारों भरी रात में ,

लुका-छिपी खेलते सपने,

लम्बी छलांगें लगाते ,

एक से दूसरे सितारे पर !!