Tuesday, March 17, 2009

पहाड़ों की रात -

आसमान के तारे कुछ ज़्यादा ही बड़े और करीब दिखते

और चाँद कुछ ज्यादा ही दूध-मलाई खा के आया लगता !

ढलानों पर बने मकानों में झिलमिलाती रौशनी

जैसे चारों तरफ़ विशालकाय

क्रिसमस के चमकदार पेड़ सजे हों !

रात में घाटी का सौन्दर्य

किसी परी-कथा के जादू को

सजीव कर देता है !!

Sunday, March 8, 2009

सुबह-सुबह क्या एहसास हुआ !!!!

हवा में कुछ अलग ही ताजगी थी

और उगते हुए सूरज में कुछ अलग ही चमक

सिन्दूरी से सुनहरी होता हुआ रंग

और उस पर हरियाले तोतों का आसमान पर झुंड में तैर जाना

पत्तों के हिलने का अंदाज़ हवा को आकार देता हुआ ,

सूरज की गर्मी भरी छुअन पाते ही फूलों का ऑंखें खोल देना

अकेले होने पर भी अकेलेपन की बजाये

इन सबका संग-साथ महसूस करना

प्रकृति ही सबसे प्यारा दोस्त

और सबसे असरदार मरहम है !!!