Thursday, September 17, 2009

धागा है यह प्रेम का ,

नाज़ुक पर कमज़ोर नहीं !!

ऊंची-ऊंची हैं चट्टानें ,

पर झरना है - रुकता तो नहीं !!

उम्मीदों का दामन पकड़ा ,

हँसना है रोना तो नहीं !!

रोना ,गिरना ,थमना, रुकना ,

पड़ाव हैं ये ठहराव नहीं !!

जीवन हमको रोज़ सिखाता ,

परखता तो है पर दोस्त यही !!

Saturday, September 5, 2009

दिन ने खोली,

अपनी झोली -

लगा बाँटने बेरोकटोक !!

भर-भर बांटे

रौशन कोने ,

चमचमाते छत- गलियारे

और दमकते घर-चौबारे !!!

दिए चिड़ियों को ,

सिंके हुए दाने

और तितलियों को

फूल खोल के !!!!

दे दिया आगाज़ मुझे

और भर दिया मुझमे दम-ख़म;

रख कर सर पर

स्नेह की गर्माहट भरा हाथ !!!