Wednesday, February 25, 2009

चल रही थी मैं

मसूरी की घुमावदार सड़क पर ,

नीचे उतर आए

हल्के-फुल्के बादल मेरा साथ देने ,

हल्की सी ठंड ने लपेट लिया मुझे

और फिर जब तैर गए ऊपर वो सब

तो प्यार भरी फुहार

से भिगो गए तन-मन को ,

रोमांचित और पुलकित कर गया मुझे

इतना बेझिझक प्यार और अपनेपन का इज़हार !

Tuesday, February 10, 2009

निकल आई एक पुरानी किताब !



पन्ने पलटते हुए , कहानी के साथ



फिर से ताज़ा हो गयीं वो यादें



"सिर्फ़ तुम्हारे लिए " -



लिखा था पहले पन्ने पर



पढ़ कर आज भी




एक मुलायम एहसास से भर गया मन !




चाहत जीने का एक सुंदर सबब है !!




Monday, February 9, 2009






रंगत उसकी भूरी- सुनहरी

कान हैं लंबे, दुम है छोटी

साथी मेरा हरदम हरपल

मेरे संग वो देता है चल

गेंद है उसको बहुत ही प्यारी

हिन्दी समझ में आती सारी

गाय से है बेहद नाराजगी

खुन्नस है कुछ खामखा की

प्यार नहीं शर्तों पे जिसका

जग्गू बंग्लुरिया नाम है उसका !






















Thursday, February 5, 2009

ओस की बूँदें -

ज्यों बेतरतीब बिखरे हों नायाब हीरे !

रत्न-जड़ित पेड़ पौधों से स्वागत करती है

प्रकृति हर नए दिन का -

अपनी पवित्र और स्वच्छ आभा बिखेरते हुए !

सबसे सुंदर फूल से लेकर ,

एक नन्हे त्रण तक

उसका श्रृंगार है पूर्ण !

है तो क्षणिक -

पर इससे बेशकीमती कुछ भी नहीं !!