चल रही थी मैं
मसूरी की घुमावदार सड़क पर ,
नीचे उतर आए
हल्के-फुल्के बादल मेरा साथ देने ,
हल्की सी ठंड ने लपेट लिया मुझे
और फिर जब तैर गए ऊपर वो सब
तो प्यार भरी फुहार
से भिगो गए तन-मन को ,
रोमांचित और पुलकित कर गया मुझे
इतना बेझिझक प्यार और अपनेपन का इज़हार !