Thursday, August 27, 2009

पाषाण टूटे ,

झरने फूटे

हो गया मन तरल !

सूखी क्यारियाँ ,

भर गयीं फूलों से

खुशबू और रंगों की है चहल-पहल !

पथरीले रास्तों पे ,

उग आई है मुलायम दूब

ज़िन्दगी ने की है पहल !

सवालों को नहीं रही ,

जवाबों की तलब

नए आयाम में आई हूँ मैं टहल !

Monday, August 10, 2009

बह चले पत्ते ,

उड़ चला मन -

कहीं भी, कैसे भी !!

घिरती आ रही बदली

भरती जा रही अन्तर में ,

गीली मिट्टी का सोंधा एहसास -

जैसे प्यार की छुअन पोर-पोर में !!

मदमस्त झोंकों से लहराते पेड़ ,

कोयल की कूक से गूंजता आसमान !!

चित्त हो गया पंख सा हल्का ,

जो भर ली अपने अन्दर

ऐसी सुखद शाम !!!!

Sunday, August 9, 2009

कल रात -

शायद झगडा हो गया था

चाँद और उसके करीबी तारे के बीच

परे - परे थे दोनों एक दूसरे से !

और तो और ,

मुंह फेरा हुआ था चाँद ने अपना

कुछ कुम्हलाया सा !!!

तारा अपनी न जाने किस ऐंठ में

ऊंचा चढ़ा कुछ ज़्यादा ही चमक रहा था

मैं दोनों को अकेला छोड़ आई -

मनमुटाव बड़े पर्सनल होते हैं !!