Wednesday, December 31, 2008

मेरे सभी ब्लॉग मित्रों को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं -


आओ लिखें कुछ बात नई


चलो करें शुरुआत नई


नई सुबह है, हवा है ताज़ी


भेजें कुछ खुशियों की पाती


पाषाण टूटे, झरने फूटे


कल-कल की है मधुर ध्वनि


रसिंगार है झूमे जाता


खिल जाने को मुझे बुलाता


चेह्कें पंछी, उड़ें तितलियाँ


जीवन-प्राण से भरी हैं कलियाँ


झाड़ के परतें पुरानी कई


फ़िर से करें इक कोशिश नई


Monday, December 29, 2008

मौसम बदला, रंगत निखरी

चल पड़ी है मंद बयार !

कूके कोयल, दूर उस पेड़ पे

कहाँ से सीखी उसने ये तान !

बूँदें हलकी, इतनी हलकी

पहला-पहला स्पर्श हो ऐसे !

इन्द्रधनुष ने खोले पंख

मयूर नाच उठा हो मेरे आँगन में जैसे !

Friday, December 26, 2008

एक नया क्षितिज

कुछ नए आयाम

तलाश जारी है.............

मस्त शामें

और कुछ मदभरी रातें

तलाश जारी है .............

पेड़ों की कतारों भरे रास्ते

और कुछ ओस जड़े गुलाब

तलाश जारी है .................

अनगिनत स्याह रातों के बदले

सिर्फ़ चंद सुप्रभात

तलाश जारी है....................

ज़र्द हुए चेहरों और सर्द होते रिश्तों को

धूप सिंके दालानों की

तलाश जारी है ...........................

Wednesday, December 24, 2008


झूठ के घर में जगमग बड़ी

सच की लौ संभाले मैं देखूं !

पुरानी चादर , पैबंद बड़े हैं

पर अपनी है कहाँ इसको फेंकूं !

दुनिया है नाटक, मैं उसमें पात्र

उस सच्चे साईं का नाम लेकर मैं खेलूँ !

Tuesday, December 23, 2008

मुखौटों का मेला लगा है दिन-रात !

शोर-गुल भरे मेलों से

हटकर है ये

सन्नाटे भरा मेला


अपनी ही पहचान

खोने लगी है

मुखौटे बदलने की

इस कवायद में



ख़ुद को देखना चाहती हूँ मैं

पर आइने हटा दिए गए हैं

और कहा जा रहा है

मुझे इलाज की सख्त ज़रूरत है !!

Friday, December 19, 2008

फिर आया हरियाला मौसम

हुए हैं दिल के घाव हरे ,

भीगे बोझिल इस मौसम में

आए हैं दिल के नीड़ पे -

यादों के मटमैले पंछी

बूंदा-बांदी से घबराकर !

और आवेगों के दरिया में

बह गए हैं आंखों से -

जो आए थे

बूंदा-बांदी से घबराकर !

बहुत सुखद है विस्मृति

जिसके लिए यह मौसम है -

सिर्फ़ बारिश !!

Thursday, December 18, 2008

हुई कुछ ऐसी बेमौसम बरसात ,

दिलों से रंग धुल गए !

लिखा था बड़े जतन से अफसाना,

सफों से हर्फ़ धुल गए !

बह गए जिस्म से जज़्बात ,

नज़रों से ग़म भी धुल गए !

इस बेमौसम बारिश का ज़ोर तो देखो ,

संग पर तराशे मेरे उनके नाम धुल गए !

Tuesday, December 9, 2008

बहते पानी में से

मैंने उठाया एक पत्थर ,

एक मुलायम ठंडक से भर गया मन

यकायक ख़याल आया

कि यह तो पत्थर की पहचान नहीं !!

निगाह गई जब पानी के बहाव की ओर

तो एक मुस्कराहट तैर गई होंठों पे

ज़िन्दगी की चाल का असर समझ में आ गया था !!

Sunday, December 7, 2008

मन है हल्का

और है ठिठका

एक बादल मेरी खिड़की के बाहर,

ज़रा घूम के आती हूँ कुछ दूर .........

इस नर्म मुलायम गद्दे पर

शायद उस सतरंगी दुनिया का कोई कोना मिल जाए !!

Saturday, December 6, 2008

गिरते हुए पत्ते -

जैसे बैले - नर्तक का लहराना !

अनदेखे और अनसुने

वाद्यों की लय - ताल पर

जीवन गतिमान है - निशब्द

समझ जाना !

Friday, December 5, 2008

मैंने माँगा

वक्त से आँचल

दे दो मुझको छाँव थोड़ी !!

धूप बहुत है

जलता मन है

ठंडे-ठंडे हर्फ़ मैं मांगू

दे दो कुछ बरसात थोड़ी !!

Thursday, December 4, 2008

कैसा मौसम, कैसा मौसम

देखा न कभी ऐसा मौसम !

जो पात हरे, ताज डार झरे

ज्यों स्वप्न जीवन की शाखों से !

कैसा मौसम.............

धानी चूनर भई पीत वरण

ज्यों म्लान दुखों की पांतों से !

कैसा मौसम..............

वीरान ठूंठ, सुख गए रूठ

ज्यों पिया मिलन की रातों से !

कैसा मौसम, कैसा मौसम

देखा न कभी ऐसा मौसम !

Tuesday, December 2, 2008

देश के नेताओं को समर्पित -

मेरे आसपास सिर्फ़ ठूंठ हैं !

इस जानलेवा मौसम में ,

जो जीवन निचोड़ ले रहा है,

चाहत है हरे-भरे वृक्ष की छाँव की,

बह के आती ठंडी बयार की ,

कुछ जीवन-दायिनी फलों की,

कुछ ताजगी देने वाले फूलों की,

पर मेरे आसपास सिर्फ़ ठूंठ हैं !!

Monday, December 1, 2008

तन के चलता,

सीना चौड़ा किए

हाथ में लिए हुए बन्दूक !

निडर, बेखऔफ़, बेझिझक

अपनी जान हथेली पे लिए हुए !

यह तस्वीर मेरे देश के किसी जांबाज़ सिपाही की नहीं

उस आतंकवादी की है -

जिसने लहूलुहान कर दिया है हम सबको !!!!

कदम्ब तले खड़े


याद कर रही हूँ कृष्ण को


उस मुरली की तान को


जिससे में भी खिंची चली आयी हूँ


बेहद रोमांचित हूँ ,


और सम्मोहित भी

महसूस कर रही हूँ नजदीकी -


उस माधव की !