Friday, August 24, 2007

दुध्वा की यादें

मेरी जिन्दगी के ऐसे पल जिन्होंने मुझे फिर से उम्मीद से भर दिया ---

आंख मींचते ही
मैं हूँ उन्ही मचानो पे
आसमान छूते
पेड़ों के बीच
दम साधे !
वो पंछियों की उड़ान
यक - ब- यक
वो जुगनू प्यारे
कभी देखे भी तो नहीं थे
पेड और पंछी
इतने सारे !

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