Saturday, November 29, 2008

लो ,

फिर निकल आया चाँद अपने ठिकाने से !

और चल पड़ा है अलमस्त

अपने साथी सितारों की टोली के साथ

अब कौन समझाए इसे

इतनी रात गए घूमना अच्छी बात नहीं

और बेशर्मों की तरह

किसी की भी खिड़की से तांक-झाँक करना -

अरे, कुछ समझो भी !!

1 comment:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

chand hee to hai jisko rat me sab kuchh dekhane ki chhut hai. narayan narayan