धागा है यह प्रेम का ,
नाज़ुक पर कमज़ोर नहीं !!
ऊंची-ऊंची हैं चट्टानें ,
पर झरना है - रुकता तो नहीं !!
उम्मीदों का दामन पकड़ा ,
हँसना है रोना तो नहीं !!
रोना ,गिरना ,थमना, रुकना ,
पड़ाव हैं ये ठहराव नहीं !!
जीवन हमको रोज़ सिखाता ,
परखता तो है पर दोस्त यही !!
2 comments:
PREM KE DHAGE SADA MAJBOOT HOTE HAIN ... SACH MEIN YE JHARNE RUKTE NAHI ..... BAHOOT KHOOBSOORAT KHYAAL MEIN BAANDHA HAI IN PANKTIYON KO ......
jeevan-saar aur jeevan-darshan ko
qareeb se samjhaati hui ek nayaab rachnaa . . .
badhaaee
---MUFLIS---
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