Friday, January 29, 2010

सुबह-सुबह

सूरज की रौशनी से

कमरे के मटमैले पर्दे भी हो उठे जीवंत !!

चमकने लगे धूल के कण

कमरे में तैरते हुए -

गति में स्थिरता का एहसास दिलाते हुए !!!

मैंने बढ़ाये अपने हाथ

ओर सुनहरी ज़िन्दगी ने मुझे ले लिया

अपने आगोश में !!!!

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

खूबसूरत दृश्य को शब्दों में उतार दिया आपने .......... बहुत लाजवाब .........