Friday, September 18, 2015

जब ताका मैंने चाँद को
अपनी अंतहीन गहराइयों से,
तो पाया उसे भी ताकते
अपनी असीम ऊँचाइयों से ।

पुराने साथी का अहसास हुअा -

अंतर्मन में तोड़-फोड़ करते
अनर्गल प्रलाप विलीन हो गये,
तन्हा अंधेरों को रौशन कर दिया
उसकी स्नेहिल मुस्कान ने ।

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