Monday, July 4, 2022

 बादलों की छत तले

बूँदों की ओढ़नी 

और फुहारों का बिछौना ।

पुरवाईयों के पंखे

सर-सर, फ़र-फ़र .....

तपिश बह चली है 

बहते पानी के साथ,

रग-रग में भरती जा रही है 

ठंडक और सुकून ।

सराबोर हुआ जा रहा है मन

प्रकृति की इस प्यार भरी छुवन से ।

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