दिन में लिखती हूँ चाँद के बारे में,
रात में सोचूँ सूरज !!
जो मिला उसे अल्टा-पल्टा के देखना है
खासतौर से ज़िन्दगी !!!
परतें खुलती जा रहीं हैं
और मैं रुकना चाह नहीं रही हूँ !
sahi hai, jo hamare pass nahi hota ham uske baare me hee sochate hain. narayan narayan
सही है।यही तो जीवन है।हम तो रूक सकते हैं पर समय कहाँ रूकता है।
देखना ही पङता है. जिंदगी के कई गोपन रहस्य तो अंत तक अनखुले ही रह जाते हैं. अच्छा लिखा .
jivan ke anjane path ki rahe aisi hi hai.....aur samay chalta hi rahata hai...BAdhai
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4 comments:
sahi hai, jo hamare pass nahi hota ham uske baare me hee sochate hain. narayan narayan
सही है।यही तो जीवन है।
हम तो रूक सकते हैं पर समय कहाँ रूकता है।
देखना ही पङता है. जिंदगी के कई गोपन रहस्य तो अंत तक अनखुले ही रह जाते हैं. अच्छा लिखा .
jivan ke anjane path ki rahe aisi hi hai.....
aur samay chalta hi rahata hai...
BAdhai
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