कल रात ,
चाँद अकेला टहल रहा था आसमान में
कुछ धूमिल और अनमना सा
छितरे-बिखरे कुछ बादलों के पीछे
बार-बार झाँक कर देखता
पूछा तो बोला -
ढूंढते-ढूंढते थक गया हूँ
अपने दोस्तों-यारों ,
साथी सितारों को
बहुत चिढ़ाते हैं मुझे कभी-कभी ये सब मिलके !!
its very nice..........
सुंदर कल्पना। सुंदर भाव।
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने... दोस्ती की अभिव्यक्ति चाँद और सितारों की कल्पना से आप ने बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है|
Post a Comment
3 comments:
its very nice..........
सुंदर कल्पना। सुंदर भाव।
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने...
दोस्ती की अभिव्यक्ति चाँद और सितारों की कल्पना से आप ने बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है|
Post a Comment