कल रात -
शायद झगडा हो गया था
चाँद और उसके करीबी तारे के बीच
परे - परे थे दोनों एक दूसरे से !
और तो और ,
मुंह फेरा हुआ था चाँद ने अपना
कुछ कुम्हलाया सा !!!
तारा अपनी न जाने किस ऐंठ में
ऊंचा चढ़ा कुछ ज़्यादा ही चमक रहा था
मैं दोनों को अकेला छोड़ आई -
मनमुटाव बड़े पर्सनल होते हैं !!
2 comments:
very beautiful poem
वाह क्या बात कही ...... मनमुटाव पर्सनल होते हैं.......... खूबसूरत, प्यारी सी रचना है आपकी........ मन में उतर गयी सीधे
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