सेज सजी है ,
राह खड़ी है
चलते जाना .....
तन कंपता है,
मन डिगता है
चलते जाना ....
जलन धूप में ,
ठिठुरन काफ़ी
शंकाजाल हैं ,
प्रश्न हैं भारी
साथ न कोई ,
पर सच है साथी
बहुत अनूठी और बेहतरीन रचना---आपका हार्दिक स्वागत हैचाँद, बादल और शाम
कम शब्दों में रची गई अनूठी कविता
तन कंपता है,मन डिगता है चलते जाना ....जलन धूप में ,ठिठुरन काफ़ी चलते जाना .....bajut sundar
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3 comments:
बहुत अनूठी और बेहतरीन रचना
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
कम शब्दों में रची गई अनूठी कविता
तन कंपता है,
मन डिगता है
चलते जाना ....
जलन धूप में ,
ठिठुरन काफ़ी
चलते जाना .....
bajut sundar
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