Thursday, May 7, 2009

तुम्हारे चंद शब्द -

अचानक बरसीं ये नन्ही-नन्ही बूँदें !

ठंडक भर गई अंतर में !!

कोयल की कूक सी भली लगती,

दूरी को पाटती,

तुम्हारी आवाज़ की मुस्कान!

मेरे दोस्त,

ज्यों सामने खड़े हो तुम-

गले लगाने को जी चाहा !!!

1 comment:

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: said...

दोस्त दिलों में ही रहते है ,