Saturday, December 6, 2008

गिरते हुए पत्ते -

जैसे बैले - नर्तक का लहराना !

अनदेखे और अनसुने

वाद्यों की लय - ताल पर

जीवन गतिमान है - निशब्द

समझ जाना !

1 comment:

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: said...

कोशिश कर कभी सुनना विरानो के गीत ,
तन्हाई की सिसकियाँ भी होंगीं ऐ अनजाने मीत !

खामोशी का संगीत जब भी आप गुनगुनायेंगे ,
लय की लरज़ में मुझे ही अकेला खडा पायेंगे !