Monday, December 1, 2008

तन के चलता,

सीना चौड़ा किए

हाथ में लिए हुए बन्दूक !

निडर, बेखऔफ़, बेझिझक

अपनी जान हथेली पे लिए हुए !

यह तस्वीर मेरे देश के किसी जांबाज़ सिपाही की नहीं

उस आतंकवादी की है -

जिसने लहूलुहान कर दिया है हम सबको !!!!

1 comment:

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: said...

आप के शब्द अच्छे हैं ,परन्तु सन्दर्भ ग़लत हैं [ आतंक वादी को ग्लोरिफाई कराती है | इस के लिए आप की कविता से प्रेरणा ले कर main कबीरा पर एक कविता प्रकाशित कर रहा हूँ