मन है हल्का
और है ठिठका
एक बादल मेरी खिड़की के बाहर,
ज़रा घूम के आती हूँ कुछ दूर .........
इस नर्म मुलायम गद्दे पर
शायद उस सतरंगी दुनिया का कोई कोना मिल जाए !!
Post a Comment
No comments:
Post a Comment