चल निकली है पुरवाई
लांघती-टापती
ऊँची नीची छतें ......
कुछ देर रुकेगी
उस टीले पर -जब थकेगी !
तब आँखों में भरके रख लूँगी
कभी-कभार
बातचीत करने के लिये !!!
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