ढलती साँझ
बिखराती चली है
अनेक ख़ुशनुमा रंग,
पूरा दिन उसका
बहुत सुहाना बीता हो जैसे ।
भर के मस्ती की है
बादलों के साथ
लुका-छिपी में .....
चल दी है उस राह,
जहां रात इंतज़ार में होगी
कल का दिन भी तो है
फिर से.......
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