Saturday, October 29, 2022

 ढलती साँझ 

बिखराती चली है 

अनेक ख़ुशनुमा रंग,

पूरा दिन उसका

बहुत सुहाना बीता हो जैसे ।


भर के मस्ती की है 

बादलों के साथ 

लुका-छिपी में .....


चल दी है उस राह,

जहां रात इंतज़ार में होगी 


कल का दिन भी तो है 

फिर से.......


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