तन के चलता,
सीना चौड़ा किए
हाथ में लिए हुए बन्दूक !
निडर, बेखऔफ़, बेझिझक
अपनी जान हथेली पे लिए हुए !
यह तस्वीर मेरे देश के किसी जांबाज़ सिपाही की नहीं
उस आतंकवादी की है -
जिसने लहूलुहान कर दिया है हम सबको !!!!
आप के शब्द अच्छे हैं ,परन्तु सन्दर्भ ग़लत हैं [ आतंक वादी को ग्लोरिफाई कराती है | इस के लिए आप की कविता से प्रेरणा ले कर main कबीरा पर एक कविता प्रकाशित कर रहा हूँ
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आप के शब्द अच्छे हैं ,परन्तु सन्दर्भ ग़लत हैं [ आतंक वादी को ग्लोरिफाई कराती है | इस के लिए आप की कविता से प्रेरणा ले कर main कबीरा पर एक कविता प्रकाशित कर रहा हूँ
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