Monday, December 1, 2008

कदम्ब तले खड़े


याद कर रही हूँ कृष्ण को


उस मुरली की तान को


जिससे में भी खिंची चली आयी हूँ


बेहद रोमांचित हूँ ,


और सम्मोहित भी

महसूस कर रही हूँ नजदीकी -


उस माधव की !

1 comment:

Unknown said...

कौन जाने बांसुरिया किसको बुलाये
जिसको बुलाये, ये उसी के मन भाये
श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिज धाम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम ||

आप बहुत अच्छा लिखती हैं
आदर सहित
नवीन शर्मा