हुई कुछ ऐसी बेमौसम बरसात ,
दिलों से रंग धुल गए !
लिखा था बड़े जतन से अफसाना,
सफों से हर्फ़ धुल गए !
बह गए जिस्म से जज़्बात ,
नज़रों से ग़म भी धुल गए !
इस बेमौसम बारिश का ज़ोर तो देखो ,
संग पर तराशे मेरे उनके नाम धुल गए !
सुन्दर रचना है। बधाई।
kya khoob likha hai .बह गए जिस्म से जज़्बात ,नज़रों से ग़म भी धुल गए ! wah .. bahut sundar aur bhaavpoorn rachna.Pls visit my blog for new poems..vijay http://poemsofvijay.blogspot.com/
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2 comments:
सुन्दर रचना है। बधाई।
kya khoob likha hai .
बह गए जिस्म से जज़्बात ,नज़रों से ग़म भी धुल गए !
wah .. bahut sundar aur bhaavpoorn rachna.
Pls visit my blog for new poems..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
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