Wednesday, December 24, 2008


झूठ के घर में जगमग बड़ी

सच की लौ संभाले मैं देखूं !

पुरानी चादर , पैबंद बड़े हैं

पर अपनी है कहाँ इसको फेंकूं !

दुनिया है नाटक, मैं उसमें पात्र

उस सच्चे साईं का नाम लेकर मैं खेलूँ !

1 comment:

daanish said...

"..sach ki lau aur SaaeeN ka naam
lekar chalne wala paatra hamesha hi
hr naatak ka safalatam sootradhaar bn kr rehta hai.."
achhe vichaar, achhi abhivyakti..!
---MUFLIS---