भोर का ठंडा शांत प्रहर -
समय का स्पंदन रुक गया हो जैसे
पर आकाश देता है पल-पल रंग बदल कर गवाही
कि समय है गतिमान हमेशा !
जाती हुई रात और आता हुआ सवेरा -
है कुदरत का सबसे सुंदर कैनवास !
कुहासे की उस हलकी सी पर्त को
अपने में समा लेता है प्रभात
और ओस जड़े फूलों को जगाता है
अपने गर्माहट भरे स्पर्श से सूरज
यह अनूठा बदलाव चित्त को कर देता है शांत
और मन को भर देता है एक सुखद अनुभूति से !!!
2 comments:
यह अनूठा बदलाव चित्त को कर देता है शांत
और मन को भर देता है एक सुखद अनुभूति से !!!
बहुत सुंदर रचना .....
बधाई ....
जाड़े की नरम ठण्ड में गुनगुनी सी रचना बधाई.
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