Friday, January 30, 2009

देखो , आया है चाँद

भरपूर चमकता , मुस्कराहट लिए चेहरे पे

प्यार से लबरेज़ !

रात जितनी हो काली

उतना ही चमचमाता , सबकी नज़रों के सामने

प्यार है ही ऐसा -

बेहद खूबसूरत और निडर !!

ढकने दबाने की कोशिश है फिजूल

और उसकी चमक को मैला करने की कोशिश है पागलपन !

5 comments:

Vinay said...

बहुत सुन्दर रचना

chopal said...

रात जितनी हो काली उतना ही चमचमाता ,

बहुत ही सुंदर वर्णन है

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

chand jaisa koi ho nahi sakta,chand to apne aas paas taro ko bhee chamkane ki ijajat deta hai.
mera ek dost bhee aapke shahar me rahta hai. narayan narayan

Science Bloggers Association said...

रात जितनी हो काली उतना ही चमचमाता , सबकी नज़रों के सामने प्यार है ही ऐसा।

अपने प्यारे को चांद के समान चमचमाता हुआ देखना किसे अच्छा नहीं लगता। खूबसूरत नज्म, सुंदर अभिव्यक्ति।

saloni said...

adbhut rachna