Monday, January 12, 2009

रात ने फैलाई

अपनी नर्म मुलायम लोई ,

उसकी सुकून भरी ओढ़नी के आगोश में हैं सब आमंत्रित !

जो रात काटनी हो मुश्किल

तो है चाँद साथी ,

वरना है एक सितारा

ज्यों डूबते को तिनके का सहारा !!!

6 comments:

chopal said...

जो रात काटनी हो मुश्किल

तो है चाँद साथी ,

bahut khob. bahut aachi baat likhi hai aapne.

www.merichopal.blogspot.com

Vinay said...

बहुत सुन्दर भाव लिए हैं इस कविता ने

---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें

Unknown said...

रोके रुक सकता जो चांद मेरा, मुझ तक
के रोशन ये जहां भी तो इसी को करना है...
-------
बहुत सुन्दर लिखा है...
आपको और सभी मित्रों को मेरी तरफ से लोहड़ी की बहुत बहुत शुभ कामनायें.

आदर सहित

Ashok Pande said...

अच्छा है ... द लर्निंग प्रोसेस शुड गो ऑन!

शुभकामनाएं!

rajesh singh kshatri said...

जो रात काटनी हो मुश्किल

तो है चाँद साथी ,

वरना है एक सितारा

ज्यों डूबते को तिनके का सहारा !!!


बहुत सुन्दर .....

KK Yadav said...

जो रात काटनी हो मुश्किल

तो है चाँद साथी ,

वरना है एक सितारा

ज्यों डूबते को तिनके का सहारा !!!

.....bahut khub.
कभी हमारे ब्लॉग "शब्द सृजन की ओर" की ओर भी आयें.