मौसम बदला, रंगत निखरी
चल पड़ी है मंद बयार !
कूके कोयल, दूर उस पेड़ पे
कहाँ से सीखी उसने ये तान !
बूँदें हलकी, इतनी हलकी
पहला-पहला स्पर्श हो ऐसे !
इन्द्रधनुष ने खोले पंख
मयूर नाच उठा हो मेरे आँगन में जैसे !
बूँदें हलकी, इतनी हलकी पहला-पहला स्पर्श हो ऐसे !इन्द्रधनुष ने खोले पंखमयूर नाच उठा हो मेरे आँगन में जैसे bahut sunder rachana
वाह! दिल को छूती है आपकी ये रचना मन खिल उठता है इतने कोमल भावः से जो आपने इस रचना में डाले हैं बहुत ही अच्छा लिखा है......
बारिश का ऐसा मजा पहले कभी आया था, आज फिर से पुरानी जीन्स पहनी हुई मालूम हुई !शुक्रिया, बहुत खूबसूरत अनुभूती के लिये....
N A VV A R S H2 0 0 9K IS H U B HK A M N A A Y E I---MUFLIS---
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5 comments:
बूँदें हलकी, इतनी हलकी
पहला-पहला स्पर्श हो ऐसे !
इन्द्रधनुष ने खोले पंख
मयूर नाच उठा हो मेरे आँगन में जैसे
bahut sunder rachana
वाह! दिल को छूती है आपकी ये रचना मन खिल उठता है इतने कोमल भावः से जो आपने इस रचना में डाले हैं बहुत ही अच्छा लिखा है......
बारिश का ऐसा मजा पहले कभी आया था, आज फिर से पुरानी जीन्स पहनी हुई मालूम हुई !
शुक्रिया, बहुत खूबसूरत अनुभूती के लिये....
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